Maa Kushmanda Puja Vidhi: मां कूष्मांडा, नवरात्रि के चौथे दिन की पूज्य देवी हैं। उन्हें चारों ओर से बनी विशाल चन्द्रमा के सामान्यत: चारों दिशाओं में बालों वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। इसका अर्थ है कि वह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को बनाने वाली देवी हैं, जिन्होंने सृष्टि की शक्ति का संचार किया। कूष्मांडा शब्द का अर्थ होता है “कुश्मांडति इति कूष्मांडा” जिसका अर्थ होता है “उसने अंधकार को दूर किया”।
इस दिन भक्तों को मां कूष्मांडा की पूजा करने के लिए उनके साम्राज्य को स्थापित करने की शक्ति दी जाती है, और उनसे जीवन में ऊर्जा और खुशी की मांग की जाती है। कूष्मांडा देवी की पूजा से भक्तों को सार्वभौम और संपूर्णता की भावना होती है।
Maa Kushmanda Puja Vidhi मां कूष्मांडा की पूजा पूजा विधि
मां कूष्मांडा की पूजा करने के लिए, आपको निम्नलिखित कदमों का पालन कर सकते हैं:
- साफ-सफाई: अपने पूजा स्थल को साफ और सुव्यवस्थित रखें।
- कलश स्थापना: कलश स्थापना करें और उसे पूजा स्थल पर रखें। कलश में जल भरकर उसमें कुमकुम, चंदन, फूल, और सुगंधित जल मिलाएं।
- मां कूष्मांडा की मूर्ति पूजा: मां कूष्मांडा की मूर्ति को पूजें। मन्त्रों के साथ आराधना करें और उन्हें पुष्प, चंदन, और कुमकुम से अलंकृत करें।
- प्रार्थना और आरती: मां कूष्मांडा की प्रार्थना करें और उन्हें समर्पित आरती गाएं।
- प्रसाद तैयार करें: मां कूष्मांडा को विशेष रूप से सजाकर प्रसाद बनाएं और उसे मां को अर्पित करें।
- समर्पण: पूजा के बाद, अपनी पूरी भक्ति और समर्पण के साथ मां कूष्मांडा की आराधना को समाप्त करें।
ये सभी कदम आपको मां कूष्मांडा की पूजा करने में मदद कर सकते हैं। ध्यान रखें कि आपकी ईमानदारी और श्रद्धा से की गई पूजा मां को प्रसन्न करेगी।
Maa Kushmanda का ध्यान मंत्र
– या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कुष्मांडा की आरती-
कुष्मांडा जय जग सुखदानी।
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
लाखों नाम निराले तेरे।
भीमा पर्वत पर है डेरा।
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
मां के मन में ममता भारी।
तेरे दर पर किया है डेरा।
मेरे कारज पूरे कर दो।
तेरा दास तुझे ही ध्याए।