नवरात्रि का सातवां दिन Maa Kalratri की पूजा के लिए समर्पित होता है। कालरात्रि माता दुर्गा की सबसे भयानक रूप है, जो दिव्य नारी की भयानक और सुरक्षात्मक शक्ति को प्रतिष्ठित करती है।
भक्त उससे साहस, साहस, और सुरक्षा की कामना करते हैं, और माना जाता है कि वह अपने भक्तों के जीवन से अज्ञानता को नष्ट करती है और उनके जीवन से बाधाएँ हटाती है।
नवरात्रि के सातवें दिन, लोग विभिन्न धार्मिक आचरणों में भाग लेते हैं, आरती (पूजा) करते हैं . इस शुभ समय में उपासक उपवास, ध्यान, और पवित्र ग्रंथों का पाठ भी करते हैं।
नवरात्रि के दौरान का आत्मसात्कार रंगीन सजावट, गरबा और डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्यों, और भागीदारों के बीच सामूहिक और भक्तिमय वातावरण के साथ नजर आता है।
Maa Kalratri की पूजा विधि कुछ इस प्रकार होती है:
- स्नान (शुद्धि): पूजा की शुरुआत में स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
- कलश स्थापना: एक कलश में पानी भरें और उसमें दुध, गंध, कुमकुम, सुपारी, नारियल, फूल, अच्छा, इलायची, बताशे, और मिश्री डालें। फिर कलश को स्थान पर स्थापित करें।
- लक्ष्मी-गणेश पूजा: कलश स्थापित करने के बाद, लक्ष्मी-गणेश की पूजा करें।
- माता कलरात्रि की मूर्ति की स्थापना: माता कालरात्रि की मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- कलरात्रि मंत्र जप: माता कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें। “ॐ देवी कलरात्र्यै नमः” यह मंत्र प्रचलित है।
- धूप-दीप पूजा: अगर्बत्ती और दीपों की पूजा करें, इससे सुगंध और पवित्रता बनी रहेगी।
- पुष्पांजलि अर्पण: मौन रहकर माता कालरात्रि को फूलों के हाथ में अर्पित करें।
- आरती और भोग: माता कालरात्रि की आरती गाएं और उसके बाद भोग (नैवेद्य) चढ़ाएं।
- कथा श्रवण: माता कालरात्रि की कथा का पाठ करें या सुनें।
- व्रत कथा सुनना: यदि आपने नवरात्रि के दौरान व्रत रखा है, तो उसकी कथा सुनें।
- आशीर्वाद प्राप्ति: आखिर में माता से आशीर्वाद मांगें और समर्पण भाव से पूजा को समाप्त करें।
यह पूजा विधि अलग-अलग स्थानों और परंपराओं के अनुसार बदल सकती है, लेकिन ये कुछ सामान्य चरण हैं जो अक्सर अनुसरण किए जाते हैं।
Maa Kalratri की पूजा के लिए कुछ महत्वपूर्ण मंत्र हैं, जो निम्नलिखित हैं:
Maa Kalratri मंत्र:
ॐ देवी कलरात्र्यै नमः॥
कालरात्रि ध्यान मंत्र:
वामपादोल्लसल्लोहकदम्बमृदङ्गधरं बिभ्रती ताटङ्गकूजितासमूहान।
वन्दे मुक्तकुण्डलमन्दिरास्यनिरास्यकान्त्यधोगती बिभ्रती वदनारविन्दम्॥
कालरात्रि कवच:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
कालरात्रि आरती मंत्र:
तुम गाउनी गाई कानन में, रात्रि बिताई जाती गौरा।
देवी कलरात्रि तुमको नमों, महाकाली आरती आरा।।
कालरात्रि अष्टोत्तरशतनामावली:
ॐ देव्यै नमः, कलरात्र्यै नमः॥
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